Storie-- तुम खुश रहो

 जबसे दिनेश ने बताया था कि सामने पड़ोस में कोई नई फैमिली शिफ्ट हुई है.तब से वह उनसे मिलने को उत्सुक था खासकर वह उस लड़की को देखना चाहता था.जिसकी दिनेश ने कुछ ज्यादा ही तारीफ कर दी थी कौन है.. कैसी है...कुर्सी पर बैठा वह मन ही मन सोच रहा था.

क्या सोच रहा है बे दिनेश ने हंसकर उसकी पीठ पर पीछे से धोल जमाई थी.

 कुछ नहीं बैठ ना रोहित बोला क्या खबर लाया है खबरी प्रसाद...

 तेरे काम की खबर है दिनेश आकर बोला.. एक हफ्ते से इंतजार की तेरी तपस्या सफल हो गई है आज मैंने उसे छत पर जाते हुए देखा है...

 चल तो दोनों चलते हैं....हाइपर हो गया था रोहित...

 कूल बेटा कूल दिनेश ने कहा.. ये टॉबल पहनकर ही चलेगा क्या ऊपर...हाँ तो क्या हुआ वह सीढ़ीयों की तरफ भागा...

 टॉवल खुलते खुलते बची तो दिनेश  जो उसके लिए जींस लेकर उसके पीछे भागा था उसने उसे वही दे दी.उसने चेंज किया अब दोनों छत पर आ चुके थे.

 शाम का समय था हल्की हल्की ठंडी हवा चल रही थी. आज छत पर कोई नहीं था वह यानी कि वृंदा....वृंदा नाम था उसका.... छत के कोने में एक थाली लिए कुछ निकाल निकाल कर फेंक रही थी.

 दोनों उससे कुछ दूर एक साइड में आ कर रुक गए थे उन्होंने देखा कि वह चावल बीन रही थी उसमें से कंकड़ निकाल कर फेंक रही थी.

 रोहित उसे एकटक देखता रह गया.. सांवली सूरत तीखे नैन नक्स बेहद लंबे बाल छरहरी  काया अगर किसी की खूबसूरती से उसकी तुलना की जाती तो शायद कम ना बैठती वो... सांवले रंग के बावजूद हर तरह से दिल में उतर जाने वाली छवि थी उसकी.

 दोनों ही हंसकर बात करे थे.. इस तरह कि उनकी आवाज उसके कानों तक जाए.

 वह भी उनकी सब बात सुन रही थी तो उसने उनकी तरफ नजर उठाकर भी नहीं देखा बस अपने मे मगन होकर चावल बीनने में लग रही थी.

 तभी बगल के छत से गेंद उछलते हुई आई और सीधे उसके हाथ की पकड़ी थाली पर जा गिरी थाली हाथ से निकल कर गिर चुकी थी और गेंद एक तरफ जा चुकी थी.

 गुस्से में उसने गेंद की तरफ देखा लेकिन वह कुछ कर नहीं सकती थी तो जमीन से चावल उठाने लगी.

 तब ही रोहित और दिनेश भी आकर उसकी हेल्प करने लगे पहली बार वृंदा ने नजर उठाकर रोहित की आंखों में झांका पर बोली कुछ नहीं.

 रोहित का दिल एक साथ धड़क गया पता नहीं क्या था उसकी गहरी आंखों में.....दिनेश दोनों को देख कर हंस रहा था.

 वृंदा थाली लेकर चुपचाप चली गई.

 ना थैंक्स ना कुछ बोली...रोहन ने दिनेश से कहा

 उसने थोड़ी तुझसे कहा था कि तू हेल्प कर तू ही मर रहा था उसने उसे चेताया.

 साले तू भी तो लग गया था साथ में रोहन बोला.

 मैं तो तेरी हेल्प कर रहा था दोनों हंस पड़े.

 वृंदा को रोज आते जाते देखता था रोहित....दिनेश उसे पूरी खबर दे चुका था.दोनों एक ही कॉलेज में थे बीएससी के पहले साल में और वृंदा भी उसी कॉलेज में बीएससी के पहले साल में ही थी.

 दोनों छत पर बैठे यही सारी बातें करके हंस रहे थे दिनेश उसकी टांग खींचने में लग रहा था.

 दिनेश बोला लगता है बेटे को इश्क हो गया है.

 पता नहीं यार..रोहित ने आहा भरी 

 साले बहुत पिटेगा तुझे इससे इशक गया तो..

 क्यों बे क्या इश्क बुरी बात है यह किया नहीं जाता है हो जाता है खुद ही....

 दिख रहा है फिल्में सिर चढ़कर बोल रही हैं.

 पर उनका क्या होगा जो तूने कॉलेज में दो दो  पाल रखी है उनसे भी तो तुझे इश्क है वह क्या कहा था पिछले हफ्ते तूने.....हां याद आया बंदना से तुझे सच्चा वाला प्यार है और रेखा से तुझे यूं ही टाइमपास वाला... प्यार है..

 रोहित हां तो क्या हुआ..

 दिनेश बोला..साले दोनों को पता चल गया तो तुझे आजू और बाजू दोनों तरफ से उठाकर किक मारेंगी..तुझे पता है ना कि दोनों ही फुटबॉल प्लेयर हैं

 रोहित अरे हां यार अब क्या होगा वृंदा.....मुझे तो वृंदा से

 दिनेश बीच मे बोल पड़ा.... वृंदा से सच्चा वाला इश्क है ना

उन दोनों को क्या कहेगा.

 रोहित बोला....एक काम कर तू..दोनों को पटा ले....

 दिनेश...साले तुझे इतना मारूंगा कि इश्क का भूत उतर जाएगा तुझे पता है ना मैं सिर्फ एक ही से प्यार करता आया हूं अपनी नैना से वह भी बचपन से मैं तेरी तरह नहीं हूं...

 हां तो मैं क्या करूं मुझे तब तक  वह मिली ही नहीं थी... वरना मैं भी ऐसा ना करता समझे तू......मैं भी तेरी तरह सीधा साधा अच्छा बच्चा होता और तू मेरी तरह होता सीधा-साधा बच्चा....

  मैं और तेरी तरह....हा हा हा दिनेश हंसकर बोला तू बहुत शरीफ है ना

 हां वह तो हूं मैं...

दोनों की दोस्ती बचपन से थी सभी को पता था. दिनेश और रोहित एक दूसरे पर भाई कि तरह जान छिड़कते हैं.. शुरू से अब तक दोनों ने एक ही स्कूल में पढ़ाई की थी दोनों के माता-पिता आपस में दोस्त और पड़ोसी भी थे... एक ही गांव के थे..

    आज कॉलेज में भी एक साथ ही थे.. कॉलेज में सभी उन्हें जुड़वा कहकर चिढ़ाते थे और वह भी इस बात में कहकहा..लगा कर हसते थे दोनों में बहुत फर्क था जहां दिनेश बहुत गंभीर स्वभाव  का था वही रोहित बहुत नटखट स्वभाव का था...

 दोनों का स्वभाव अलग होने के बावजूद भी दोनों की दोस्ती अटूट थी.

 धीरे-धीरे 1 माह बीत गया रोहित और वृंदा की मुलाकात कॉलेज में हो जाती थी पर दोनों एक दूसरे से बोलते नहीं थे...आज भी वृंदा से मुलाकात हुए दोनों ने एक दूसरे को देखा पर बोले कुछ नहीं दिनेश भी साथ था वृंदा अपनी सहेली यामिनी से बात कर रही थी..

 2 दिन की जो पढ़ाई हुई है मुझे बता दे मैं आ नहीं पाई मेरे नोटस रह गए हैं..

 मैं भी नहीं आई थी यार...यामिनी बोली

 अब...वृंदा ने पूछा मेरा तो कोई यहां दोस्त भी नहीं है सिवाय तेरे

 अब क्या कुछ नहीं जुड़वा है ना हेल्प करने के लिए यामिनी ने हंसकर कहा.

 जुड़वा कौन वृंदा ने पूछा...

 वह जो सामने खड़े खींसें निपोड़ रहे है

 उसने उन दोनों की ओर देखा पर बताया नहीं कि वे उसके पड़ोसी हैं और उन्हें जानती है.

 हां हां यही पूरे कॉलेज में सबकी मदद करते हैं.. बचपन से एक साथ पढ़ रहे हैं अब कॉलेज में भी एक साथ ही रोज आते हैं 1 दिन भी मिस नहीं करते हैं और सब की हेल्प भी खुले दिल से करते हैं..

 बात सुनकर दिनेश पास आ गया और बोला हां हां...बता क्या हेल्प करें तेरी हम...तुम दोनों की उसने... वृंदा को देखा हैऔर हंसकर बोला आप क्या कॉलेज में इसी साल आई है.

 यामिनी बोली हां हां.......देख दिनेश तू और रोहित इसकी और मेरी हेल्प कर दे दो दिन के नोटस चाहिए हमें.

 हां हां क्यों नहीं उसने अपनी नोटबुक निकालकर यामिनी को दे दिया यामिनी ने झट से नोटबुक लेकर अपने बैग में डाल दी..

 और मैं वृंदा बोली...

 मैं हूं ना आपके लिए हंसकर रोहित ने नोटबुक निकालकर उसे थमा दी....

 ले ले यार यामिनी ने वृंदा को कोहनी मारी तो उसने नोटबुक लेकर उसे लेकर अपने बैग में डाल दी और यामिनी के साथ आगे बढ़ गई.

 रोहित ने कहा देखा... देखा थैंक्स तक नहीं बोली जाने कैसी लड़की है यह...

 हां यह तो है लेकिन इतने दिन से देख रहा हूं मुझे विश्वास है कि तुझे 1 दिन थैंक्स जरूर बोलेगी पर सुन मैं तुझसे एक बात करना चाहता हूं.

 हां बोलना यार तभी क्लास लगने की बेल बज गई.

 चल इस समय तो क्लास में चलते हैं शाम को कहीं चला मत जाना छत पर मिलकर बात करेंगे.

 ओके यार तू सीरियस क्यों हो गया है रोहित ने पूछा

 दिनेश कुछ नहीं बोला चुपचाप क्लास की ओर बढ़ गया रोहित भी उसके पीछे पीछे चल पड़ा.

 दोनों शाम को छत पर मिले दिनेश सीरियस और रोहित मस्ती में लगा था उसे बार-बार छेड़ रहा था और वह  चुपचाप था उसकी बात का कोई उत्तर नहीं दे रहा था.

 क्या हो गया भाई क्या नैना ने लात मार दी...उसने दिनेश चेताया.

 नैना की बात मत करना वरना मैं तुझे अभी बताता हूं..

 हां हां बता दे तुझे शांति मिल जाए शायद  नैना की लात का दर्द भूल जाए..

  तेरी तो कहते हुए रोहित की और दौड़ा..रोहित उसे चेता का छत पर ही दौड़ा वह आगे दिनेश पीछे छत पर कई चार पाई थी रोहित उसे वहीं दौड़ा रहा था और दिनेश पीछे पीछे भाग रहा था दौड़ते दौड़ते सीढ़ी चढ़ती हुई वृंदा से रोहित टकरा गया..

  वृंदा गिरते हुए बची उसके  हाथ में किताब थी जो सारी की सारी गिर गई.

  लेकिन रोहित ने उसे संभाल लिया वह गिरने से बच गई थी.

  दिनेश हसे जा रहा था क्योंकि वृंदा अपने आप को छुड़ाने का प्रयास कर रही थी पर रोहित उसे पकड़े हुए था.

  छोड़ दे उसे अब वो खड़ी हो चुकी है दिनेश ने हंसकर कहा..

  रोहित दीवानों की तरह से देख रहा था उसने सकपका कर उसे छोड़ दिया.

शर्म नहीं आती बच्चों की तरह उछल कूद कर रहे हो... अभी मैं गिर जाती तो वृंदा ने गुस्से में कहा...

  गिर कैसे जाती... मैं हूं ना तुम्हें संभालने के लिए तुम्हें कभी नहीं गिरने दूंगा बस हां तो बोलो.. वह बुदबूदा रहा था वृंदा की कुछ समझ में नहीं आया.. 

क्या मतलब...चलो हटो यहां से उसे धक्का देकर एक तरफ किताब उठाकर चली गई...

  दिनेश रोहित का हाथ पकड़कर एक तरफ ले गया

  क्या हुआ सीरियस की दुकान..रोहित ने चेताया

  तुम से मुझे बात करनी है...

  तो कर ना...रो क्यों रहा है रोहित बोला..

  चल सामने बैठते हैं..दोनों जाकर वृंदा से काफी दूर बैठ गए

 हां बोल क्या कहना है तुझे पहले तू सीरियस मत हो रोहित ने कहा

  हां मैं भी तेरी तरह हो जाऊं ना दिनेश बोला और गुस्से से रोहित को देखा...

  अच्छा बाबा ले मैं  सीरियस..हो गया..बोल तू नाराज मत हो रोहित ने कहा

  क्या तू सच मैं बृंदा से प्यार करने लगा है या फिर और लड़कियों की तरफ फ्लर्ट है.

  यह सच है  मेरे दोस्त मैं सचमुच वृंदा से प्यार करने लगा हूं पता नहीं क्या हुआ है मुझे... वृंदा में ना जाने ऐसा क्या है कब कैसे प्यार हो गया कुछ पता नहीं चला जबकि वह और लड़कियों  जैसी स्टाइलिश और खूबसूरत नहीं है फिर भी.

  सच्चे प्यार के लिए कभी खूबसूरती की जरूरत नहीं पड़ती सादगी और संस्कार की मूरत है और देखने में किसी से कम भी नहीं लगती है वह..

  हां यही कारण है कि मैं पता नहीं कब उससे प्यार कर बैठा वह सच में बहुत अच्छी है उन लड़कियों की तरह नहीं है जिन्हें मुझे लगता था कि मैं...उन्हें चाहता हूं से...एकदम अलग है वह...

  दिनेश बोला यही मैं कहना चाहता हूं वृंदा उनकी तरह नहीं है मैंने उसके  परिवार के बारे में सब कुछ पता कर लिया है..

  अंकल जी बैंक में जॉब करते हैं उनके तबादले होते रहते हैं बृंदा तीन भाई बहन हैं बड़ी बहन की शादी गांव में हो चुकी है एक छोटा भाई है बृंदा पढ़ने में बहुत तेज है पूरे घर का परिवार का पढ़ाई के बावजूद ख्याल रखती है..

  आंटी बता रही थी कि वृंदा बचपन से लेकर आज तक पढ़ाई में अब्बल आती रही है बिना ट्यूशन पढ़ें..छोटे भाई को शुरू से ही वह घर में ही ट्यूशन पढ़ा रही है. और भविष्य में अपने बलबूते पर कुछ बनना चाहती है 

  पिता कर्ज में डूबे हुए हैं बहन की शादी का लोन चुका रहे हैं बाकी तू समझ सकता है उसकी स्थिति कैसी होगी.

 ओहो रोहित बोला..

 क्या हुआ दिनेश ने पूछा....

तू ये बता कर मुझसे कहना क्या चाहता है रोहित ने पूछा..

  यही कि मैं नहीं चाहता हूं कि तू उसके दिल से खेल खेले और 4 दिन बाद तू और किसी लड़की की तरह उसे भी बदल दे.

  कहना क्या चाहता है तू रोहित गुस्से में बोला.

 वही जो तू हमेशा करता है पर इस बार तूझे ऐसा नहीं करने दूंगा क्योंकि पता नहीं क्यों वृंदा को देख मुझे अपनी छोटी बहन मोनू की शक्ल याद आती है. मैं तुझे उसके साथ कुछ गलत नहीं करने दूंगा.

पागल हो गया है मैं सीरियस हूं...

कितने दिन तक दिनेश ने पूछा..

तो तुझे मुझ पर विश्वास नहीं है रोहित ने कहा

हां मुझे विश्वास नहीं है..मैं तुझे बचपन से जानता हूं..

यह ठीक है यार पर मैं इतना भी खराब नहीं हूं विश्वास कर मेरे दोस्त में वृंदा को तहे दिल से चाहता हूं उसे कभी भी धोखा नहीं दूंगा कभी नहीं छोडूंगा. मेरा वादा है अपने भाई जैसे दोस्त से...

इतना तो तू जानता है कि मैं भी कभी झूठा वादा नहीं करता.

 मैं भी यही चाहता हूं रोहित कि तू अब की सीरियस हो मेरे दोस्त

 मैं सीरियस ही हूं विश्वास कर मुझे उन लोगों से कुछ भी नहीं चाहिए सिर्फ वृंदा के....हमारे पास किसी चीज की कमी नहीं है..

  खेत खलियान सब कुछ तो है मेरे पास.

  पर तेरे घर वाले दिनेश ने पूछा

  मना लूंगा उन्हे मैं.

  सच कह रहा है दिनेश खुश हो गया

  हां यार

  मेरी कसम उसका हाथ अपने सिर पर रखा दिनेश ने..

  तेरी कसम कहते हुऐ रोहित रो पड़ा...

  चल तो पहले वृंदा के दिल की जान लेते हैं ख्याली पुलाव पकाने से पहले दिनेश बोला.

हां यार यह तो मैंने सोचा ही नहीं.. रोहित ने कहा.. और सपना बड़ा वाला देख लिया दोनों हंस पड़े.

 धीरे-धीरे 3 महीने बीत गए  रोहित हिम्मत नहीं कर पा रहा था कि वृंदा से कुछ कहे इतना जरूर था कि वृंदा और वह दोनों एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा देते थे दिनेश और रोहित अक्सर उसकी पढ़ाई में हेल्प करने लगे.

एक दिन दोनों ही छत पर अकेले पढ़ रहे थे.. रोहित उसे देखे चला जा रहा था तो...

वृंदा ने पेन मारकर कहा...क्या है क्या देख रहे हो..

 कुछ तो नहीं हुआ झेप गया..

 फिर झूठ कितना झूठ बोलते हो तुम वृंदा हंसने लगी...

 अच्छा एक बात बताओ अगर मैं तुमसे कुछ कहूं तो बुरा तो नहीं मानोगी....

 यह तो तुम्हारी बात पर निर्भर है कि तुम्हारी बात अच्छी है या बुरी मानने वाली है

 ओहो..रोहित बोला

 अच्छा चलो सीधे सीधे बोल दो वृंदा ने मुस्कुरा कर कहा...

 वृंदा कैसे कहूं रोहित ने पूछा

 अपने मुंह से कहो यार वृंदा ने कहा

 मैं ना तुमसे.....

 क्या मुझसे वृंदा ने पूछा...

 बहुत प्यार करता हूं यार तुमसे....एक  सांस में घबराकर  रोहित बोला..

 यह क्या कह रहे हो रोहित तुम वृंदा  ने झूठ मुठ गुस्सा दिखाते हुए कहा.

 क्योंकि इस बात को वो काफी पहले समझ चुकी थी,पर रोहित के मुंह से सुनना चाहती थी.

 तो तुम गुस्सा हो गई वृंदा ने जवाब नहीं दिया प्लीज बताओ ना क्या है तुम्हारे मन में मेरे प्रति रोहित ने पूछा

 वही जो तेरे मन में है इसके प्रति दिनेश ने पीछे से हंसकर कहा तो सुनकर वृंदा  शरमा गई...

 हां मेरी बहन भी तुझे चाहती है मैंने इससे काफी पहले ही पूछ लिया था..

 सच....रोहित बोला पर तू क्यों आया जब हम दोनों बात कर रहे थे

तो..

 तेरी हेल्प करने आया था और तू मुझी से कह रहा है ..  कहकर उसने रोहित के पीठ पर एक धौल जमा दी और भागा.. रोहित भी उसके पीछे भागने लगा दोनों एक दूसरे के पीछे भागने लगे.

 वृंदा का चेहरा खिल चुका था... उन दोनों की हंसी मजाक देख कर हंस रही थी.

 3 साल का कब बीत गए पता ही ना चला तीनों ने ग्रेजुएशन कर लिया था एक शाम वृंदा ने रोहित को मिलने के लिए छत पर बुलाया शाम गहरा चुकी थी कोई नहीं था वहां..

 क्या हो गया तुमने मुझे इतनी रात को क्यों बुलाया है और तुम्हारा चेहरा क्यों उतरा हुआ... रोहित ने पूछा..

 मुझे तुमसे कुछ कहना है तुम्हें कुछ बताना है वृंदा ने कहा..

 पहले मुस्कुराओ इस शक्ल से नहीं...

 मुस्कुराया नहीं जा रहा है रोहित वह रो पड़ी..

 अरे बताओ तो क्या हुआ क्यों रो रही हो तुम..उसने उसके आंसू पोछे, क्या हुआ बताओ मुझे तुम क्या बात है...

 हम परसों यहां से चले जाएंगे पापा का ट्रांसफर हो गया है मां पैकिंग कर रही है.

 क्या कह रही हो तुम कह दो ये सब झूठ है... अचानक वो इस बात को सुनकर बहुत घबरा गया.

 नहीं रोहित ये सब सच है बृंदा रोते हुए कह रही थी..

 कहां जा रहे हो तुम सब रोहित ने पूछा.

 पता नहीं पापा ने कुछ नहीं बताया है बस मम्मी से इतना ही कहा है कि हम परसो यहां से सदा के लिए जा रहे हैं तुम तैयारी करो मैं सब मैनेज कर चुका हूं.

 क्या तुम मुझे छोड़ दोगी मैं बात करता हूं हम दोनों के बारे में रोहित ने कहा

 नहीं रोहित मैं तुम्हारे बिना.... उसने बात बीच में ही छोड़ दी

 समझता हूं मैं सब बृंदा तुम घबराओ मत.

 मैं देखता हूं क्या हो सकता है..

  नहीं रोहित शायद घर में सबको पता चल चुका है पापा ने मुझसे कुछ कहा तो नहीं है पर तुम से ना मिलने की हिदायत दी है मैं चुपचाप से तुमसे मिलने आई हूं..

 अब क्या होगा रोहित हताश हो गया..जब तक वृंदा जवाब देती तब तक उसका भाई उसे बुलाकर ले गया.

 वह सिर पकड़कर चारपाई पर बैठ गया कुछ देर गुमसुम बैठा रहा हूं उसने होश नहीं था तभी दिनेश ने आकर उसे झींझोड़ा..

 क्या हुआ तुझे उसने पूछा

 वह सदा के लिए मुझे छोड़ कर जा रही है फिर उसने वृंदा की बताई सारी बात दिनेश को बता दी..

 तू ही बता अब क्या होगा...दोनों सोचने लगे..

 रात को रोहित को तेज बुखार आ गया... गांव से मां पिताजी भैया भाभी आ गए थे 15 दिन पहले ही वह गांव गए थे लेकिन उसकी खबर सुनकर वह तुरंत आ गए.

 बुखार की तेजी के कारण उसे होश ही ना था दूसरे दिन शाम को वृंदा उससे मिलने आई तो माँ ने उसे उससे मिलने नहीं दिया वह चुपचाप चली गई.

 वृंदा परिवार सहित जा चुकी थी कहां किसी को पता नहीं था... सब दूसरे दिन रात को ही चले गए बिना किसी को कुछ बताएं.

 रोहित को होश आया तो उसके घर की ओर दौड़ा....देखा तो ताला लगा हुआ था उसके होश उड़ गए....वृंदा चली गई थी ना पता ना फोन ना ही कुछ और....

कुछ ही देर में दिनेश आ गया.

वह चली गई मुझे छोड़कर एक बार भी मेरे पास मुझे देखने और मिलने नहीं आई...रोहित ने हताश होकर कहा..

 ऐसा नहीं है रोहित बह तुझसे मिलने आई थी वह भी तुझे उतना ही प्यार करती थी जितना कि तू उसे करता था.

 फिर उसने ऐसा क्यों किया.....

 तब दिनेश ने उसे बताया कि तुझे बुखार के कारण होश नहीं था वृंदा तुझसे जाने से पहले मिलने आई थी मैं भी वहीं पर था आंटी ने उसे तुझसे मिलने नहीं दिया..

 वह बहुत रो रही थी हाथ तक जोड़ दिए थे उसने पर आंटी ने तुझसे मिलने के लिए साफ इंकार कर दिया उन्होंने ही बताया कि तेरे पिता ने हमें सब बता दिया है.

 उन्होंने ही वृंदा को फटकार कर हिदायत दे दी कभी भी तुझसे मिलने की कोशिश ना करें और उसे जबरजस्ती  हाथ पकड़ कर बाहर निकाल दिया वह बिना जवाब दिए चुपचाप रोती हुई यहां से चली गई.

 आंटी ने मुझे भी वृंदा के पास जाने नहीं दिया... मैं उससे कुछ पूछ लेता तो बाहर से दरवाजा लगा कर चली गई थी.. तेरे साथ वह मुझे भी कमरे के अंदर बंद कर गई ताकि मैं वृंदा से ना मिल सकूं..

 सोचा भी नहीं था यह अंजाम होगा क्या गलती हुई मुझसे... रोहित ने आंखें बंद किए हुए पूछा..

 तू अपने आप को दोष मत दे..सिर्फ दुआ दे उसको कि वह जहां रहे खुश रहे क्योंकि तुम दोनों ने ही एक दूसरे को दिल से चाहा बिना स्वार्थ के...

 पर मुझे बहुत अफसोस है कि कुछ भी नहीं कर पाए... हम तुम दोनों उसके लिए..दिनेश मायूस होकर बोला..

 बृंदा माफ कर देना मुझे मैं तुम्हें कभी नहीं भूल पाऊंगा रोहित रूहाँसा होकर बोला....तुम जहां रहो खुश रहो यही दुआ है मेरी..... कहते कहते हैं वह फूट-फूटकर रो पड़ा दिनेश ने उसे उठाकर संभाला और घर की ओर चल पड़ा.

 आपको मेरी लिखी ये स्टोरी कैसी लगी कृपया कमेंट करके जरूर बताएं......

 धन्यवाद !!  🙏🙏🙏🙏🙏


  

  

 

 

 

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