मां के जैसा कौन हैं.. मां के सम्मान में छोटी सी विनती 🙏🙏
Happy mother's day 🙏🙏
मां का क्या गुणगान करूं शब्द कम पड़ जाते हैं..
जमीं आसमां नदी समंदर सारे सिर झुकाते हैं.....
दोस्तों...सागर है मां का अस्तित्व मां के जैसा संसार में कोई नहीं हो सकता है ना ही कभी होगा. लोग कहते हैं भगवान हर जगह नहीं आ सकते,देखभाल नहीं कर सकते, इसलिए उन्होंने मां की रचना की है.
मां बनाई है,जिसके अस्तित्व में सब कुछ समा जाए.माँ वह शब्द है, जो लाजवाब है कोई जवाब नहीं है, मां के बदले में इस संसार में.
क्या नहीं करती है हमारी मां हमारे लिए.बचपन से लेकर जवानी तक यहां तक कि, हम सब उसके सामने बूढ़े हो जाते हैं तब भी वह कुछ ना कुछ करते रहने का प्रयत्न करती है हमारे लिए.
हमें बचपन में नहलाना धुलाना साफ सफाई क्या नहीं करती है वह. बचपन में पकड़कर चलाती है गिरने पर उठाती है और रोने पर गले लगाती है.
यह माँ है दोस्तों! इन सबको करके कभी उसने कुछ बदले में मांगा क्या....मांगा है तो जरा ध्यान कीजिए.
मुझे तो ध्यान नहीं है कि,बचपन में जब माँ ने यह सब किया तो बदले में मुझसे कुछ मांगा हो.
हमें पढ़ाती है लिखाती है समझाती है और जवान करती है. वह हमारे कहीं जाने पर चिंता करती है हमारी राह तकती है और हमारे वापस आने का इंतजार करती हैं.
क्या-क्या कहू मां के बारे में कुछ समझ में नहीं आता है. बदले में क्या दिया जाता है मां को.
और आजकल के बच्चे...अपनी मां को दुत्कारते हैं फटकारते हैं. कई तो ऐसे भी हैं जो अपनी मां पर हाथ उठाने से भी नहीं चूकते हैं. अपनी मां को घर से निकाल देते हैं.
और जब उन को वृद्धावस्था में हमारी सबसे ज्यादा जरूरत होती है ठीक हमारे बचपन की तरह तो, उन्हें छोड़ देते हैं. भूल जाते हैं उसका किया हुआ.
हर उस बेटे को समझना चाहिए जिसके लिए मां की ममता सम्मान और उसकी जरूरत मायने नहीं रखती है.उसने आपको पाल पोस कर बड़ा किया है आपको इस काबिल बनाया है कि आप अपने परिवार का भरण पोषण कर सकें.
जब आप अपने बीवी बच्चों का ख्याल रख सकते हैं तो उसका क्यों नहीं सब उसी मां की बदौलत तो है.
समझिए इस चीज को.. जिसने आपको काबिल बनाया उसी के लिए कुछ क्यों नहीं है आपके पास.
बुढ़ापे में उसके कोई शौक सिंगार तो होंगे नहीं.. न हीं खाने पीने की इतनी क्षमता होती है खाना पीना भी एकदम सादा हो जाता है.फिर भी आप का अपनी मां को ना निभा पाना क्या सचमुच सही है आपकी नजरों में.
आपने अपने परिवार की खातिर मां को छोड़ दिया.वृद्ध आश्रम में छोड़ आये.
क्या इसी दिन के लिए आप के जन्म पर वो पागलों की तरह खुश हुई थी.नहीं बिल्कुल नहीं उन्होंने तो सोचा भी न होगा कि जिस बेटे के लिए इतना खुशी मना रही हैं.वहीं उनके बुढ़ापे में उनके दुख का सबसे बड़ा कारण होगा.
ऐसा ना करें प्लीज मां का सम्मान करें..वह सम्मान चाहती है आपका दिया सम्मान उसका दिल बहुत बड़ा कर देगा.अगर उसने कभी कुछ कह दिया या डांट दिया तो क्या हुआ वह मां है आपकी.
गलतियां ना देखें उसका सम्मान करें. प्यार की दो रोटी और उसकी दवा का ख्याल रखिए. हजारों आशीष और दुआएं उसकी आपके काम आएंगी.खुद समझिए और अपने परिवार के सदस्यों को भी समझाइए.
ऐसा नहीं है कि दुनिया में सारे ही बेटे खराब हैं.मैंने ऐसे बेटे भी देखे हैं.जो मां को भगवान से ज्यादा पूजते हैं.मां की डांट फटकार अपने जवान बच्चों के सामने भी खा लेते हैं और हंसते हैं.
किसी को कुछ कहने नहीं देते हैं कहते हैं मां है मेरी...उसे पूरा अधिकार है.जो कहते हैं बहुत भाग्यशाली हैं हम कि हमें ऐसी मां मिली हमारी मां हमारे सामने हैं.
भाग्यशाली है वह मां जिसे ऐसे बेटे मिले जिनके लिए आज भी पहले नंबर पर सिर्फ मां है बाकी सब बाद में.
नमन है ऐसे बेटों को......
कभी उनसे पूछो जिनकी मां नहीं है जो मां की और मां की ममता को तरसते हैं जिन्हें चाहत होती है कि काश हमारी मां भी होती.
और हर बेटे को समझना चाहिए.जो मां के साथ बुरा व्यवहार करते हैं.आपके आस पास अच्छे बेटो का भी उदाहरण है.कुछ सीखिए समझिए संभालिए.गलती हो जाए तो उसे माफी मांग कर सुधारें.
प्लीज वृद्धावस्था में अपनी मां का ख्याल रखें ना कि उन्हें वृद्धा आश्रम में छोड़ जाएं. उन्हें कभी ना छोड़े..अगर गुस्से में हंसी में कुछ कह दे तो बुरा ना माने धैर्य और संयम रखें.ठीक वैसे ही व्यवहार करें जैसे आपके बच्चे गलती करते हैं और आप डांटने की जगह हंसकर बालक समझकर टाल देते हैं.
उनके खाने का उनकी दवा का ख्याल रखें अपनी मां को भी उतना ही प्यार करें जितना अपने परिवार से करते हैं आप.
बहुत-बहुत धन्यवाद !! 🙏🙏🙏🙏🙏
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